राष्ट्रीय वन्य जीव कार्य योजना (National Wildlife Action Plan)-Vanya Jeev Karya Yojana-Van Daroga Special Notes 2023
वन दरोगा Special Classes
Chapter-02
राष्ट्रीय वन्य जीव कार्य योजना (National Wildlife Action Plan)
राष्ट्रीय वन्य जीव कार्य योजना
प्रथम राष्ट्रीय वन्यजीव कार्ययोजना 1983 में अपनाई गई थी। इसमें वन्यजीव संरक्षण के लिये जिस रणनीति और कार्ययोजना को अपनाया गया वो आज भी प्रासंगिक है।
हालांकि समय के साथ कुछ नई समस्याएँ उभरी और कुछ पूर्ववत् समस्याएँ
और गंभीर हो गई जैसे प्राकृतिक संसाधनों का व्यावसायिक उपयोग, मानव एवं पशु जनसंख्या
में लगातार बढ़ोत्तरी, उपभोग की प्रकृति में बदलाव, जैव विविधता के संरक्षण संबंधी समस्या
इत्यादि। इससे कार्ययोजना की प्राथमिकताओं में परिवर्तन की जरूरत महसूस हुई।
अतः प्रथम राष्ट्रीय वन्यजीव कार्ययोजना को संशोधित किया गया
और द्वितीय कार्ययोजना
(2002-2016) अपनाई गई।
इसके बाद द्वितीय कार्य योजना में पुनः संसोधन हुआ और तृतीय
कार्य योजना 2017 में लागू
की गयी जिसकी अवधि 2031 तक है।
अतः वर्तमान में तृतीय
कार्य योजना चल रही है।
हम वर्तमान में लागू कार्य योजना को विस्तृत रूप से पढ़ेंगे।
कार्य
योजना अवधि
प्रथम - 1983 से 2001
द्वितीय - 2002 से 2016
तृतीय - 2017 से 2031 (वर्तमान)
यह कार्य योजना वन्य जीव संरक्षण हेतु, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
द्वारा लागू की गई।
इसका मसौदा राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड तैयार करता
है।
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तीसरी (2017-2031) राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना
(NWAP-3)
तृतीय कार्य योजना की आधारशीला-
2 अक्टूबर 2017 को ग्लोबल वाइल्डलाइफ
प्रोग्राम आयोजित हुआ, जिसकी थीम ‘ पीपुल पार्टिसिपेशन इन वाइल्डलाइफ कनशरवेशन ’ थी।
इसमें
पर्यावरण मंत्रालय ने 2 डाक्यूमेंटरी जारी की -
1. नेशनल वाइल्डलाइफ एक्शन प्लान (2017-31)
2. सेक्योर हिमालयन प्रोजेक्ट तथा इंडिया वाइल्डलाइफ मोबाइल
एप जारी हुआ
ग्लोबल वाइल्डलाइफ प्रोग्राम विश्व बैंक
के नेतृत्व में एक ग्लोबल पार्टनरशिप प्रोग्राम है, जिसका उद्देश्य शिकार और अवैध तस्करी
पर रोक लगाना है।
तृतीय कार्य योजना के प्रमुख तथ्य-
·
मंत्री -डा हर्षवर्धन(पर्यावरण
एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय)
·
राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना 15 वर्षों के लिए है।
·
तीसरी वन्यजीव कार्य योजना
‘‘ आनुवंशिक ’’ विविधता संरक्षण और दीर्घकालीन विकास पर केंद्रित है।
·
इसकी रूपरेखा J.C. काला की अध्यक्षता में 12
सदस्यीय समिति ने तैयार की।
·
यह ‘ पृथ्वी पर जीवन ’ एजेंडे के अंतर्गत
तैयार हुई।
·
इसमें 5 भाग (घटक), 17 विषय (थीम), 103 संरक्षण विधियाँ और
250 परियोजनाएं है।
·
यह प्रथम
कार्य योजना है जिसमे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को शामिल किया गया है।
तृतीय
कार्य योजना के फोकस एरिया -
- 1.
वन्यजीव नियोजन में जलवायु
परिवर्तन एकीकरण
- 2.
समुद्री, तटीय एवं अतः
स्थलीय जलीय परिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण
- 3.
मानव वन्यजीव संघर्ष में
कमी
- 4.
वन्यजीव स्वास्थ्य पर
ध्यान देना
- 5.
वन्यजीव संरक्षण में लोगों
की भागीदारी पर जोर
तृतीय
कार्य योजना के प्रमुख घटक (कुल-5)-
- 1.
एकीकृत वन्यजीव आवास प्रबंधन
को मजबूत बनाना, बढावा देना
- 2.
जलवायु परिवर्तन अनुकूलन
तथा भारत में जलीय जैव विविधता के एकीकृत सतत प्रबंधन को बढ़ावा देना।
- 3.
पर्यावरणीय पर्यटन, प्रकृति
शिक्षा तथा सहभागी प्रबंधन को बढ़ावा देना
- 4.
वन्यजीव अनुसंधान को सुदृढ़
बनाना तथा वन्यजीव संरक्षण में मानव संसाधन विकास की निगरानी करना।
- 5. भारत में वन्यजीव संरक्षण हेतु नीतियों तथा संसाधनों को सक्षम बनाना।
नोट-राष्ट्रीय वन्य जीव कार्य
योजना राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड बनाता है।
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तृतीय
कार्य योजना की विशेषताएं -
- 1.
जलवायु परिवर्तन, समायोजन
- 2.
संरक्षण - आवास, जल स्त्रोत
- 3.
जैव विविधता - पुनर्वास
- 4.
मानव पशु संघर्ष का शमन
करना
- 5.
प्रशासन तथा कानून
- 6.
अनुसंधान तथा पारंपरिक
ज्ञान
वन्यजीव स्वास्थ्य
कैनाइन डिस्टेम्पर (Canine Distemper) नामक बीमारी बाघों, चीतों
में होती है, इसका मुख्य कारक है-विषाणु
हर्पीज नामक बीमारी हाथियों में होती है। ऐड्रोथेलियोट्रापिक
हर्पीज नामक विषाणु इसका मुख्य कारक है।
भारतीय बकरी, एंटीलॉप्स हिरण में गोट पॉक्स (चेचक) की बीमारी
देखी गयी है।
वन्यजीव से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण एक्ट
1. जल प्रदूषण संबंधित एक्ट - 1974
2. नेशनल पर्यावरण ट्रिब्युनल एक्ट - 1995
3. मद्रास वाइल्ड एलिफैण्ट प्रिजर्वेशन एक्ट - 1873
4. पक्षी संरक्षण एक्ट - 1887
5. बंगाल राइनोसेरस प्रिजर्वेशन एक्ट - 1932
6. असम राइनोसेरस प्रिजर्वेशन एक्ट - 1954
7. सेन्ट्रल बोर्ड ऑन वाइल्ड लाइफ - 1952
8. आल इंडिया एलिफैण्ट प्रिजर्वेशन एक्ट - 1979
सुन्दरवन को भारत के वनों का गौरव
कहते हैं।
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