Gramin Peyjal Yojana Phase 1 Phase 2-ग्रामीण पेयजल योजना for VPO Exam 2024-ग्रामीण विकास योजनाएं

Gramin Peyjal Yojana Phase 1 Phase 2-ग्रामीण पेयजल योजना for VPO Exam 2024-ग्रामीण विकास योजनाएं

Gramin Peyjal Yojana Phase 1 Phase 2 for VPO Exam 2024
Gramin Peyjal Yojana Phase 1 Phase 2 for VPO Exam 2024

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ग्रामीण पेयजल योजना-Phase-I & Phase II

सुरक्षित पेयजल की व्यवस्था एक बुनियादी आवश्यकता है ।

जल एक राज्य का विषय है, और ग्रामीण जल व्यवस्था संविधान की 11वीं अनुसूची में उन विषयों को शामिल किया गया है, जिन्हें राज्यों द्वारा पंचायतों को सौंपा जा सकता है। समस्या की भयावहता को देखते हुए, केन्द्र सरकार समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से राज्य सरकारों के प्रयासों को पूरा करती रही है।

(ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना पानी की उपलब्धता और आपूर्ति जैसे प्रमुख मुद्दों की पहचान करती हैं।)

ग्रामीण पेयजल एवं जलापूर्ति हेतु प्रयास(Phase-I शुरू)

1972-73-जल क्षेत्र में सरकार का प्रमुख हस्तक्षेप 1972-73 में समस्याग्रस्त गाँवों में पेयजल आपूर्ति के कवरेज में तेजी लाने के लिए राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों की सहायता के लिए

त्वरित ग्रामीण जल आपूर्ति कार्यक्रम (एआरडब्ल्यूएसपी) के माध्यम से शुरु हुआ।


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1974-75-राज्य पोषित योजना के रुप में वर्ष 1974-75 से न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के अंतर्गत पेयजल योजना का कार्यान्वयन प्रारम्भ किया गया।(यहाँ से राज्यों द्वारा इस विषय में पहली बार कोई प्रयास किया गया।)

1977-वर्ष 1977 में राज्य स्तर पर संसाधनों की कमी के दृष्टिगत भारत सरकार द्वारा केन्द्र पोषित योजना के रुप में त्वरित ग्रामीण पेयजल सम्पूर्ति योजना पुनः लागू की गई।

1984-वर्ष 1984 से राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जाति/ जनजाति हेतु राज्य पोषित पेयजल योजना संचालित की गई।

1986-पानी की गुणवत्ता, उचित प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप, मानव संसाधन विकास सहायता और अन्य संबंधी गतिविधियों पर ध्यान देने के साथ एक प्रौद्योगिकी मिशन कार्यक्रम, 1986 में शुरु किया गया था।

1991- प्रौद्योगिकी मिशन, 1986 का 1991 में नाम बदलकर राजीव गाँधी राष्ट्रीय पेयजल मिशन कर दिया गया।

1999-2000 में, सेक्टर सुधार पेयजल योजनाओं की योजना कार्यान्वयन और प्रबंधन में समुदाय को शामिल करने हेतु परियोजनाएं शुरू की गयी।

(वर्ष 2000 में ही भारत सरकार द्वारा प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना लागू की गई थी। न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम और अनुसूचित जाति/ जनजाति पेयजल योजना का विलय प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना  में कर दिया गया।)

 

उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयास

भारत सरकार ने 1999 में राज्य जल और स्वच्छता मिशन की शुरूआत करते हुए ग्रामीण जल और स्वच्छता में सुधार पहल शुरू की। मिशन का समग्र लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर जल आपूर्ति और स्वच्छता सुविधाओं तक पहुँच बढ़ाकर और स्थिरता सुनिश्चित करके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।

इस संबंध में समुदाय आधारित और भागीदारी परियोजनाओं के लिए समग्र नीति मार्ग दर्शन करने के लिए ग्रामीण विकास विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मिशन (राज्य जल और स्वच्छता मिशन) का गठन और स्थापना की गयी है।

 

2002-सेक्टर सुधार पेयजल योजना की जगह वर्ष 2002 में 'स्वजल धारा' कार्यक्रम के रूप में शुरुआत हुयी।

 

2009-वर्ष 2009 में भारत सरकार द्वारा त्वरित ग्रामीण पेयजल योजना को नया स्वरुप प्रदान करने के लिए

राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल सम्पूर्ति(आपूर्ति) कार्यक्रम(NRDWP) के रुप में लागू किया गया। इसके लिए 23050 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया।

राज्य स्तर से संचालित एवं पोषित पेयजल योजनाओ का राज्यांश के रुप में उक्त कार्यक्रम में विलय कर दिया गया।

इस योजना में निर्माण कार्यों के साथ-साथ जलस्रोत/योजनाओ की सस्टेनेबिल्टी हेतु 10 प्रतिशत तथा पेयजल योजनाओं के संचालन एवं अनुरक्षण हेतु 10 से 15 प्रतिशत की धनराशि आवंटित किये जाने का प्राविधान रहा।

2017-वर्ष 2017 में भारत सरकार द्वारा दिशा निर्देश में परिवर्तन कर सस्टेनेबिल्टी तथा संचालन व अनुरक्षण हेतु उपलब्ध प्राविधान को समाप्त कर दिया गया।

 

वर्तमान में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (NRDWP) के अर्न्तगत ग्रामीण पेयजल आपूर्ति के कार्य भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा 50:50 के अनुपात में वित्त पोषित किये जा रहे है ।

 

उक्त के अतिरिक्त केंद्र पोषित प्रधानमन्त्री जान विकास कार्यक्रम के अंतर्गत भी अल्पसंख्यक बाहुल्य जनपदों में भी पेयजल योजनाओ का क्रियान्वयन किया जा रहा है।

2016-17-वर्ष 2016-17 में राज्य सरकार की प्राथमिकताओं एवं ग्रामीण पेयजल से सम्बन्धित ऐसे कार्य जो केन्द्र द्वारा निर्धारित प्राथमिकताओ से आच्छादित नहीं हैं, हेतु राज्य स्तर से पोषित राज्य ग्रामीण पेयजल योजना प्रारम्भ की गई। उक्त के अतिरिक्त केन्द्र पोषित प्रधानमन्त्री जन विकास कार्यक्रम के अर्न्तगत भी अल्प संख्यक बाहुल्य जनपदों में पेयजल योजनाओ का क्रियान्वयन किया जा रहा है।

2019-जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजना को समाहित करते हुए 2019 में "जल जीवन मिशन" का प्रारम्भ किया गया । यहाँ से Phase-II शुरू होता है। 

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जल जीवन मिशन

जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल सम्पूर्ति कार्यक्रम को समाहित करते हुए "जल जीवन मिशन" का प्रारम्भ किया गया है। जल जीवन मिशन की शुरुआत 15 अगस्त, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। निर्मला सीतारमण ने केन्द्रीय बजट 2019-20 में जल जीवन मिशन का ऐलान किया था।

जल जीवन मिशन के अन्तर्गत वर्ष 2024 तक प्रदेश के हर घर में नल से जल उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है

·       इस मिशन का लक्ष्य मौजूदा जल आपूर्ति प्रणालियों एवं जल कनेक्शन, जल गुणवत्ता निगरानी और परीक्षण के साथ-साथ सतत् कृषि की कार्यक्षमता सुनिश्चित करना है।

·       यह संरक्षित जल के संयुक्त उपयोग को सुनिश्चित करता है। इसके साथ ही यह पेयजल स्रोत में वृद्धि, पेयजल आपूर्ति प्रणाली, ग्रे जल उपचार और पुन: उपयोग को भी सुनिश्चित करता है।

 

इसके लिए जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा कायाकल्प और पेयजल तथा स्वच्छता मंत्रालय को एकीकृत किया गया है मिशन का लक्ष्य वर्ष 2024 तक कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन' (FHTC) के माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर पानी की आपूर्ति करना है।

 

जल जीवन मिशन की विशेषताएँ:

·       जल जीवन मिशन स्थानीय स्तर पर जल की एकीकृत मांग और आपूर्ति पक्ष प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करता है।

·       वर्षा जल संचयन, भूजल पुनर्भरण और पुन: उपयोग के लिये घरेलू अपशिष्ट जल के प्रबंधन जैसे अनिवार्य तत्त्वों के रूप में स्रोत सतत् उपायों हेतु स्थानीय बुनियादी ढाँचे का निर्माण अन्य सरकारी कार्यक्रमों/योजनाओं के साथ अभिसरण में किया जाता है।

·       यह मिशन जल के लिये सामुदायिक दृष्टिकोण पर आधारित है तथा मिशन के प्रमुख घटकों के रूप में व्यापक सूचना, शिक्षा और संचार शामिल हैं।

जल जीवन मिशन का प्रबंधन:

  • ·       जल समितियाँ ग्राम जल आपूर्ति प्रणालियों की योजना, क्रियान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव करती हैं।
  • ·       इनमें 10-15 सदस्य होते हैं, जिनमें कम-से-कम 50% महिला सदस्य एवं स्वयं सहायता समूहों के अन्य सदस्य, मान्यता प्राप्त सामाजिक और स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता (आशा), आंगनवाड़ी, शिक्षक आदि शामिल होते हैं।
  • ·       समितियाँ सभी उपलब्ध ग्राम संसाधनों को मिलाकर एक बारगी ग्राम कार्ययोजना तैयार करती हैं। योजना को लागू करने से पहले इसे ग्राम सभा द्वारा अनुमोदित किया जाता है।

 

जल जीवन मिशन का वित्तपोषण:

केंद्र और राज्यों के बीच वित्तपोषण स्वरूप हिमालयन तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिये 90:10, अन्य राज्यों के लिये 50:50 है, जबकि केंद्रशासित प्रदेशों के मामलों में शत-प्रतिशत योगदान केंद्र द्वारा किया जाता है

 

Note-जल जीवन मिशन में डायरिया से होने वाली लगभग 4 लाख मौतों को रोकने की क्षमता है। इससे भारत के घर-घर पाइप की सहायता से पेयजल की सुविधा प्रदान करने के जीवन-रक्षक प्रभावों के बारे में पता चलता है।

 

उत्तर प्रदेश हेतु-

उत्तर प्रदेश में-प्रधानमंत्री जी ने 22 नवंबर 2020 को इसकी आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री जी ने उत्तर प्रदेश के विंध्याचल क्षेत्र के मिर्जापुर और सोनभद्र जिलों में ग्रामीण पेयजल आपूर्ति परियोजनाओं की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आधारशिला रखी। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ इस अवसर पर उपस्थित थे।

(2995 गांव व 42 लाख आबादी और परियोजना लागत-5555.38 करोड़-In 2 year)


हर घर नल योजना

  • पानी हेतु नल भी तो होना चाहिए। केंद्र सरकार ने हर घर नल योजना भी शुरू की है.
  • इस योजना का मकसद देश के हर घर तक साफ़ पीने का पानी पहुंचाना है.
  • इसके तहत सरकार हर घर तक नल का कनेक्शन देगी.
  • उत्तर प्रदेश की राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति ने 11 नवंबर, 2021
  • को ग्रामीण इलाकों में नल जल कनेक्शन देने के लिए 1,882 करोड़ रुपये
  • के प्रस्तावों को मंज़ूरी दी थी.
  • इन योजनाओं से 33 ज़िलों के 1,262 गांवों की 39 लाख आबादी को फ़ायदा होगा.

 

जल स्तर

जल जीवन की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक है। पीने योग्य पानी की सुनिश्चित उपलब्धता मानव विकास के लिए महत्वपूर्ण है। भारत वैश्विक मानव आबादी का 18% और वैश्विक पशुधन आबादी का 15% का घर है। हालांकि, इसके पास केवल 2% भूमि क्षेत्रफल और वैश्विक मीठे पानी के संसाधनों का 4% है।

अनुमान के अनुसार 1951 में प्रति व्यक्ति वार्षिक मीठे पानी की उपलब्धता 5,177 क्यूबिक मीटर थी, जो 2011 में घटकर 1945 क्यूबिक मीटर हो गयी। अनुमान है कि 2019 में यह लगभग 1368 क्यूविक मीटर थी जो आगे चलकर 2025 तक 1293 क्यूबिक मीटर हो जाने की संभावना है।

यदि वर्तमान प्रवृत्ति जारी रहती है तो 2050 में मीठे पानी की उपलब्धता घटकर 1140 क्यूबिक मीटर होने की संभावना है।

 

मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना-( बिहार सरकार की है)

सुशासन कार्यक्रम के अन्तर्गत राज्य सरकार के सात निश्चय के तहत हर घर नल का जल के क्रियान्वयन हेतु मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना वर्ष 2016-17 से प्रारंभ की गई है। इस योजना के तहत राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक घर को वर्ष 2019-20 तक पाईप द्वारा शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।




संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप 2030 तक ‘हर घर जल’ यानी हर एक ग्रामीण घर को सुरक्षित एवं पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराने का देश का दीर्घकालिक लक्ष्य है। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (NRDWP) के द्वारा ग्रामीण पेयजल ढांचा तैयार करने और उसे बरकरार रखने पर तेज़ी से कार्य चल रहा है।

 

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